इस योजना के तहत किसानो को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से काफी लाभ प्रदान किया जा रहा है | छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा निरंतर किसानो के लिए लाभदायक योजना बनायी गयी है | इस योजना के तहत किसानो को वृक्षारोपण किये जाने पर 10,000 रूपये तक की प्रोत्साहन राशि मिलेगी |
उद्देश्य
- कृषकों के निजी क्षेत्र ( जहाँ वर्ष 2020 में धन की खेती किया गया हो तथा शासन को धान का विक्रय किया गया हो ) वन अधिकार पत्र धारक की भूमि , शासकीय विभागों संयुक्त वन प्रबंधन समिति एवं ग्राम पंचायतो की राजस्व भूमि पर इमारती, गैर इमारती प्रजातियों के वाणिज्यिक /औद्योगिक को प्रोत्साहन देना |
- पर्यावरण में सुधार लाकर जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाओं को कम करना है |
- कृषको की आय में वृक्षा रोपण के माध्यम से वृद्धि करना है |
- निजी तथा सामुदायिक जमीनों पर वृक्षा रोपण को बढ़ावा देकर लकड़ियों के उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है ताकि राज्य सर्कार की आय में वृधि हो |
- जमीन के कटाव को रोकना एवं भूमि जल स्तर को ऊपर लाना भी इसका एक प्रमुख उद्देश्य है |
- बिकाऊ लकड़ियों के आवश्यकताओं की पूर्ति बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहया कराना G.D.P में वृद्धि लाना |
योजना की पात्रता
- इसके अंतर्गत ऐसे किस आएंगे जो 2020 में छत्तीसगढ़ शासन को अपने धान बेचे हो। एवं वन अधिकार पत्र धारक हो वह व्यक्ति जिनके द्वारा पिछले वर्ष शासन को धान बेचा गया था तथा इस भूमि पर धान की जगह वृक्षारोपण करना चाहते हैं।
- ऐसे वन अधिकार पत्र धारक जो नए सिरे से अपनी भूमि पर वृक्षारोपण करना चाहते हैं। ऐसे सभी पंचायत एवं संयुक्त वन प्रबंधन समिति जो अपने पास उपलब्ध राशि से सरकारी जमींन में वृक्षारोपण करना चाहते हैं इसके लिए हकदार होंगे।
योजना का क्रियान्वयन
- इस योजना में इमरती, गैर इमरती, फलदार ,बांस ,औषधि पौधे का रोपण किया जाएगा।
- अगर वन विभाग के नर्सरी से किसी प्रकार का मदद मिलता है तो ऐसे किसान जो पहले संपर्क करेंगे उन्हें पहले निशुल्क पौधा दिया जाएगा।
- यदि वन विभाग के पास निशुल्क प्रदान करने के लिए किसी भी प्रकार का पौधा नहीं है तो इस स्थिति में निर्धारित दर में कृषकों को मांग किया जा रहे पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।
- निशुल्क रूप से प्रदान कराए जा रहे पौधों को ले जाने की जिम्मेदारी अर्थात परिवहन का साधन कृषकों का होगा।
- वृक्षारोपण कार्य में आवश्यकता पड़ने पर वन विभाग का तकनीकी सहयोग मिलेगा।
- इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु वन अधिकार पत्र धारक ग्राम पंचायत या वन प्रबंधन समिति के द्वारा रोपण की 6 महीने के भीतर अथवा 30 नवंबर के पहले संबंधी वन परिक्षेत्र कार्यालय में पंजीयन कराया जाना अनिवार्य होगा।
- पिछले वर्षों की वृक्षारोपण का अप्रैल महिना में निरीक्षण करने पर यदि 80% पौधे जीवित पाए जाते हैं तो फिर इस वृक्षारोपण को सफल माना जाकर प्रति एकड़ 10000 रुपए प्रोत्साहन राशि हेतु वन अधिकार पत्र धारक को प्रशासन द्वारा दिया जाएगा।
- पंजीकृत वृक्षारोपण का अवलोकन अप्रैल महीने में प्रतिवर्ष निरीक्षण दल के द्वारा किया जाता है निरीक्षण दल के रूप में परिक्षेत्र अधिकारी स्तर के कोई भी विभागीय अधिकारी हो सकते हैं ।
- सफल वृक्षारोपण के प्रोत्साहन राशि का भुगतान अधिकारी के द्वारा डीएफओ के माध्यम से संबंधित वन अधिकारी पत्र धारक को डायरेक्ट उनके खाते में दिया जाएगा ।
- प्रोत्साहन राशि का भुगतान शासन द्वारा निर्धारित बजट मद से किया जाएगा।
- वृक्षारोपण हेतु सागौन, कुम्हार, बीमा बांस, चंदन, शतावर, कालमेघ, बायबिडंग, गिलोय, इत्यादि विभिन्न प्रकार के वृक्ष एवं औषधि पौधे के रोपण एवं दोहन की प्रक्रिया का विस्तृत जानकारी अलग से भेजी जा रही है।
- कृषक वन अधिकारी पत्र धारक ग्राम पंचायत तथा वन प्रबंधन समितियों को इस योजना का लाभ लेने हेतु एक एकड़ में कम से कम 160 पौधों को लगाना अनिवार्य होगा।
पंजीकरण
- इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु कृषकों को निर्धारित समय अवधि में संबंधित पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
- पंजीकृत किसानों को ही प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा।
- इसी तरह वन अधिकार पत्र धारक ग्राम पंचायत एवं वन प्रबंधन समितियां को भी संबंधित वन परिक्षेत्र कार्यालय द्वारा पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। पंजीकरण नहीं होने की दशा में इनको भी योजना अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की पात्रता नहीं होगी।
- ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं विहीत अधिकारी द्वारा पंजीकृत रकबे का गिरदावरी कर सत्यापन किया जाएगा। निरीक्षण में यह अनिवार्य रूप से देखा जाएगा कि वृक्षारोपण हेतु संपूर्ण पंजीकृत रकबे में वृक्षारोपण किया गया है तथा पंजीकृत रकबे में आंशिक रूप से भी धान का रोपण नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में वास्तविक रकबे में वृक्षारोपण अनुसार प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।
- वृक्षारोपण की उपयुक्त प्रजाति चयन के संबंध में उचित परामर्श कृषकों को आवश्यकता अनुसार दिए जाएंगे।
महत्वपूर्ण लिंक
विभागीय वेबसाइट | www.cgforest.com |
एकीकृत पोर्टल (NIC) | www.kisan.cg.nic.in |
टेलीग्राम | join now |
click now |